शुद्धि

एक चार-चरणीय अभ्यास जिसमें शामिल हैं:
1) अपनी गलती पर पछताना,
2) जिसे हमने नुकसान पहुंचाया है, उसके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करके रिश्ते को बहाल करना,
3) भविष्य में हानिकारक कार्रवाई से बचने का संकल्प, और
4) किसी प्रकार का उपचारात्मक व्यवहार करना।
यह हमारे विनाशकारी कार्यों की शक्ति को कम करता है।