पूर्ण जागरण (सम्यक्षबोधि)

बुद्धत्व; वह अवस्था जिसमें सभी अस्पष्टताओं को त्याग दिया गया हो और सभी अच्छे गुणों को असीम रूप से विकसित किया गया हो।